Monday 18 February 2013

पति क्यों उखड़ा-उखड़ा रहता है ?

क्या आपके पति आपसे नाराज रहने लगे हैं या आप जब प्यार की बातें करती हैं तो वो आपसे दूर हो जाते हैं. अगर आपके साथ ऐसा होता है तो इधर-उधर कारण खोजने के बदले अपनी और अपने पति की सैलेरी में अंतर देखिए. फिर आपको समझ में आ जाएगा कि अगर आपकी सैलेरी आपके पति की सैलेरी से ज्यादा है तो वो बात आपके पति को खटक रही है और आपके पति धीरे-धीरे आपसे दूर होते जा रहे हैं.

depressedपत्नी का ज्यादा कमाना पति को खटकता है
पत्नी का ज्यादा कमाना पति को खटक रहा है. हालांकि पति अब पुरानी सोच के नहीं हैं पर फिर भी पति अपनी पत्नी को अपने से ज्यादा कमाते हुए नहीं देख सकते हैं. अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में हुई रिसर्च यह कहती है कि पत्नी के ज्यादा कमाने से पति पत्नी से दूरी बनाने लगता है और रोमांस के स्तर पर भी पत्नी से दूर हो जाता है.

पति ऐसा क्यों सोचते हैं ?
हैरानी होती है कि जो पति आजकल पत्नी को किसी भी पुरानी सोच से नहीं बांधता है फिर अचानक क्या हो जाता है कि पत्नी का ज्यादा कमाना उसे खटकने लगता है. क्या पति आज भी कहीं ना कहीं पुरानी सोच से बंधे हुए हैं या और भी बातें हैं जो पतियों को अपनी पत्नी का ज्यादा कमाना परेशान करने लगता है. 


क्यों खटकता है पत्नी का ज्यादा कमाना
  • पति चाहता है कि घर में हर स्तर पर उसका स्थान उसकी पत्नी से ऊंचा होना चाहिए.
  • पति को पत्नी की ज्यादा सैलेरी के साथ-साथ यह भी खटकता है कि उसकी पत्नी उससे ज्यादा ऊंचे पद पर कार्य करे.
  • पत्नी का घर के खर्चों पर ज्यादा खर्च करना पति को नापसंद होता है क्योंकि पति को ऐसा लगता है कि पत्नी ज्यादा खर्च करके यह बताना चाह रही है कि उसकी सैलेरी उससे ज्यादा है. 


  • पत्नी आखिरकार क्या करे ?
    जब पति अपनी पत्नी से इस कारण दूर होने लगे कि पत्नी की सैलेरी ज्यादा है तो ऐसे में सवाल उठता है कि पत्नी को क्या करना चाहिए? पत्नी को इस बात को समझना होगा कि पति कुछ मामलों में पुरानी सोच के होते हैं और उनकी सोच को समझदारी के साथ ही बदला जा सकता है क्योंकि इन मामलों में की गई लड़ाई रिश्ते टूटने का भी कारण बन जाती है.

    Post Your Comment : क्या आपको भी लगता है कि अगर पत्नी की कमाई पति से ज्यादा हो तो इसका असर उनके दांपत्य जीवन पर पड़ता है या फिर बदलते हालातों के मद्देनजर यह मात्र एक भ्रम ही है?

आकर्षक दिखने से पुरुष पहचान कर लेते हैं कि….

hot girlहैरानी की बात है कि यह कैसे हो सकता है ‘किसी का आकर्षक लगना उसकी भीतरी शारीरिक क्षमता का पैमाना भी हो’. महिलाओं का आकर्षक लगना अब यह तय कर देगा कि वो मां बनने की योग्यता रखती हैं या नहीं. डांस फ्लोर पर अपने खूबसूरत अंदाज में नृत्य करती महिला जब पुरुषों को ज्यादा आकर्षक लगती है, तो इसका मतलब है कि वह मां बनने के काबिल है.


जर्मनी में गोटिनगेन यूनिवर्सिटी के अध्ययन के अनुसार महिलाओं की रजोनिवृत्ति का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि वह नृत्य करते समय पुरुषों को ज्यादा खूबसूरत दिखती हैं या नहीं. रजोनिवृत्ति के बाद उनमें उतना आकर्षण बाकी नहीं रहता. 


अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इसी तरह की ऐसी कई छोटी-छोटी बातें हैं, जिनके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि महिला मां बनने की उम्र में है या उससे आगे बढ़ चुकी है. अध्ययन के अंतर्गत विभिन्न आयु वर्ग की 48 महिलाओं को एक जैसी लय  ताल पर नृत्य करने को कहा गया और विभिन्न आयु वर्ग के दो सौ पुरुषों ने उनकी सुंदरता और आकर्षण को परखा.


hot girl2इस दौरान सभी महिलाओं को एक ही तरह के कपड़े पहनाए गए ताकि उनमें अधिक भिन्नता दिखाई न दे. इन पुरुषों को यह नहीं मालूम था कि यह अध्ययन महिलाओं की प्रजनन क्षमता का पता लगाने के लिए किया जा रहा है. इसके बावजूद उन्होंने मां बनने में सक्षम महिलाओं को अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक सुंदर और आकर्षक करार दिया.


महिलाओं के आकर्षक दिखने से मां बनने का क्या नाता?
  • मां बनने का सुख हर महिला के लिए सबसे बड़ा सुख होता है और हर पुरुष यही चाहता है कि उसकी पत्नी उसे पिता बनने का सुख दे पर एक महिला पिता बनने का सुख दे पाएगी या नहीं यह बात महिला के आकर्षक दिखने पर निर्भर करती है जो गलत है. 

  • केवल महिलाओं के आकर्षक दिखने पर यह बात निर्भर क्यों करती है कि वो मां बनने की क्षमता कितनी प्रतिशत रखती हैं? यदि आकर्षक दिखना क्षमता का पैमाना है तो फिर पुरुषों के भी आकर्षक दिखने पर या ना दिखने पर उनके पिता बनने की क्षमता पर भी सवाल उठना चाहिए.
  • हां, यह जरूर हो सकता है कि आकर्षक दिखना जोश को दिखाने जैसा हो पर इस बात को क्षमता का पैमाना मान लेना गलत है.

‘प्यार को फिर से जवां बना दे’: अपनाएं यह आइडिया

love guru‘प्यार तो हर कोई करता है जानी, पर निभाता कोई कोई है. सच ही तो है आपने भी किसी से प्यार जरूर किया होगा और प्यार नहीं तो किसी को पसंद तो जरूर किया होगा पर आपको पता भी नहीं चला होगा. अब आपके प्यार भरे रिश्ते में दूरियां आ गई होंगी तो बस अब डरने की जरूरत नहीं है. हमारे पास कुछ ऐसे तरीके हैं जिन्हें अपनाने से आपका प्यार फिर से जवां हो जाएगा.


समय के साथ थोड़ा ढल जाएं 


जब आपका रिश्ता नया-नया होता है तो इसमें ढेरों औपचारिकताएं शामिल होती हैं. जैसे घंटों फोन पर बात करना, एक दूसरे का कुछ ज्यादा ही ख्याल रखना. डेट वगैरह पर समय पर न पहुंचने पर माफी मांग लेना आदि या किसी तरह से पटा लेना.

वक्त बीतने पर जब सामंजस्य बढ़ जाता है तब ये उम्मीद कम कर देना चाहिए. यहां पर इस रूप में ले लें‍ कि इस रिश्ते में थोड़ा गाढ़ापन आने पर इन औपचारिकताओं को विशेष जरूरत नहीं रहे. ऐसी बातें भी दोनों ओर से हो सकती हैं.


दिल का सहारा भी लें
तारीफ सुनना हर व्यक्ति को अच्छा लगता है, लेकिन ‍शुरू-शुरू रिश्ते की तुलना में जिम्मेदारियां बढ़ने के साथ यदि इसमें तीव्र गिरावट आने पर ‍विशेष चिंतित न हों. ना ही शुरू की बातों को लेकर तानाकशी करें कि पहले तो ऐसा कहा करते थे अब क्या हो गया आदि. एक-दूसरे की तारीफ नहीं कर पाते या किसी चीज पर ध्यान देने के बजाय व्यस्तता का हवाला देते हुए कुछ चीजों पर ध्यान न जाए. इन चीजों को मुंह से कहने सुनने की बजाय यहां दिल का सहारा लें.

अपेक्षाएँ होती हैं अलग-अलग
शारीरिक आकर्षण तो एक प्राकृतिक लक्षण हैं जिससे कोई भी परे नहीं रह पाया है. हमारे समाज में कुछ नियमों को संस्कार का रूप दिया है जिसे कई बार युवा वर्ग अपनाने से मना कर देते हैं इसका मतलब ये नहीं को आप एक-दूसरे से सिर्फ शारीरिक आकर्षण के कारण जुड़े हैं. यदि आप इन नियमों का पालन करना चाहते हैं तो यह आप पर निर्भर करता है कि नाराज होने के बजाय प्यार से समझाएं. दैहिक संबंध से परे एक और चीज बहुत महत्वपूर्ण होती है वो है स्पर्श जो उसे प्रियतमा के दैहिक आकर्षण से परे अपनत्व का एहसास दिलाएगा.

एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें
अपनी सारी भावनाएँ दूसरों के सामने जाहिर न करें. अगर उन्हें किसी बात से नाराजगी भी होती है तो वे उसे सबके सामने जाहिर न करें. इसका आप दोनों पर गलत प्रभाव पड़ सकता है. कई बार ऐसा भी होता है कि किसी छोटी-सी बात पर या बेवजह बहुत तेज गुस्सा आता है और ऐसी स्थिति में आपसी संबंधों में दरार पड़ने तक की नौबत आ जाती है.

अगर आप दोनों के संबंधों में कभी ऐसी स्थिति आए तो उसे सुधारने के मामले में आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. इसलिए जिस समय आपके साथी को गुस्सा आ रहा हो तो उस वक्त आप उसे कुछ न कहें. बाद में जब उसका गुस्सा शांत हो जाए तब आप उसे प्यार से समझाएँ कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. इसलिए बेहतर यही होगा कि आप अपने साथी को नाराज होने का मौका नहीं दें.

Dating Tips in Hindi: गर्लफ्रेंड धोखा दे तो क्या करें

Love Tips in Hindi
कहीं आपकी गर्लफ्रेंड आपको बेवकूफ तो नहीं बना रही!!!!!


यह ब्लॉग उन सभी बॉयफ्रेंड के लिए एक बहुत बड़ा सीख होगी जो अपनी गर्लफ्रेंड के पीछे हाथ धोकर पड़े रहते हैं और उन्हें अपनी गर्लफ्रेंड के अलावा कोई और देखने को मिलता ही नही.


अब देखिए आपकी गर्लफ्रेंड चाहे कुछ भी हो है तो एक लड़की ही ना और लड़की पर विश्वास तो भगवान भी नहीं कर पाए तो आप कैसे कर सकते हैं. आजकल की चालू लड़कियों की हरकतों की वजह से तो आजकल के प्रेमियों को भी संभलकर रहने की जरूरत हैं. तो चलिए कुछ ऐसी बातों पर नजर डालते हैं जिन्हें लड़कियां एक हद तक तो इंजॉय करती है और फिर अवॉइड करती है. अजीब बात है ना पहले तो इंजॉय करेंगी और फिर उसी चीज को एवॉइड.

 प्यार करने के टिप्स Love Tips in Hindi
क्यूं घूमते हो आगे-पीछे भंवरों की तरह: अगर आप उनका हर वक्त पीछा-सा करते रहते हैं. उनकी हर चीज पर, हर बात पर नजर रखते हैं तो संभल जाइए. पहले तो वह आपकी इस अदा को बड़ा इंजॉय करेंगी कि चलो बंदा लाइन तो दे रहा है फिर वही मैडम आप पर शक करने लगेंगी कि आखिर यह लड़का है कैसा? यह आखिर चाहता क्या है मुझसे? 


हैंडल विद केयर: क्या आप उनसे हर छोटी बड़ी बात करने पहुंच जाते हैं ? यानी वन-लाइन की बातचीत ? हो सकता है कि वह शुरू में इस बात को पसंद करे लेकिन बाद में वह चिढ़ सकती है और आपको जरूरत से ज्यादा स्मार्ट बनने का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.


सब्र का फल मीठा होता है: बड़े-बुजुर्ग हमेशा कहते थे कि बेटा सब्र का फल मीठा होता है तो आप भी इसी पर अमल कीजिएं. जल्दबाजी न मचाएं . रिश्ता बनने में वक्त लगता है. हो सकता है आप उन्हें लेकर श्योर हों कि वही आपके सपनों की रानी है लेकिन हो सकता है कि वह ऐसा न सोचती हों. उन्हें वक्त दें. उन्हें यह कभी न कहें कि उनकी जिन्दगी आपसे शुरू हो और आप पर ही आकर खत्म हो. जानने की कोशिश करें, वह क्या सोचती हैं.

जो होना है होकर रहेगा: एक बात जरूर याद रखें. अगर यह रिश्ता बनना है तो बन कर रहेगा. और, अगर नहीं बनना है तो आप भले ही कितना भी आगे-पीछे न घूमते रहें, यह नहीं ही बनेगा. वैसे भी लड़कियों के दिल पर जो ताला लगा होता है वह किसी की चाबी से आसानी से खुल जाता है और किसी की चाबी भी टेढ़ी हो जाती है पर वह दिल का ताला नही खुलता.

Sunday 17 February 2013

A LOVE STORY IN HINDI- पिंकी की प्रेम कहानी: कुछ सच्चा कुछ वाक्या

LOVE STORY IN HINDIपहले प्यार की पहली कहानी :


हेलो दोस्तों, यूं तो मेरे पास काम का कोई टोटा नहीं है लेकिन हाल के दिनों में मुझे रेडियो 92.5 के रेडियो जॉकी नीलेश मिश्रा से काफी प्रेरणा मिली है. उनकी कुछेक कहानियां मुझे इतनी अच्छी लगी कि मैंने भी प्रेम कहानियां लिखने की सोची. कुछेक कहानियां तो मैंने भी लिखी और वाकई आप लोगों ने इसे काफी पढ़ा. “रिश्तों की उधेड़बुन” के चार भाग मैंने लिखे और चारों सुपरहिट हुए.


अब एक बार फिर मैं लेकर आया हूं एक बेहतरीन कहानी “पिंकी की प्रेम कहानी”. पिंकी (बदला हुआ नाम) एक लड़की जो कभी हमारे दोस्तों के ग्रुप की बातचीत का हॉट टॉपिक हुआ करती थी. वह किससे प्यार करती है इस बात पर हम सभी में जमकर बहस होती थी. पिछले दिनों दिल्ली मेट्रो में उससे मुलाकात हुई. उसने मुझे अपनी कहानी सुनाई. यूं तो यह उसकी अपनी पर्सनल प्रेम कहानी थी लेकिन मैंने सोचा क्यूं ना इस कहानी को आप सभी से सांझा करें. यह कहानी पिंकी की ही जुबानी. 


मनीष यही नाम था उस लड़के का. हम तीसरी क्लास से एक साथ पढ़ते थे. लोधी कालॉनी का वह स्कूल हमेशा से ही सबका प्यारा था. स्कूल के अंदर जाते ही दाएं हाथ में था हमारा क्लासरूम. यह क्लास रूम हमें बहुत प्यारा था. आखिर यह इस स्कूल में हमारा पहला क्लासरूम जो था. अब आते हैं मेरी प्रेम कहानी पर.


Love Storyमैं पिंकी और वह मनीष. पहले ही दिन वह मेरे साथ बैठा था. उसका यह स्कूल का पहला दिन था. यूं तो हम उस समय तीसरी कक्षा में थे लेकिन मुझे सब अच्छी तरह याद था. पहले दिन वह आधे दिन तक तो सही रहा लेकिन आधी छुट्टी होते ही वह थोड़ा असहज हो गया. उसके मामा इसी स्कूल में बड़ी क्लास में थे. आधा छुट्टी में उसके मामा उसे खाने के लिए कुछ देने के लिए नहीं आए. बेचारा थोड़ा रोने लगा मैं लंच लेकर आई थी सो थोड़ा सा उसे देने लगी लेकिन वह हैड डाउन करके बैठा रहा. 


आधी छुट्टी खत्म हुई तो उसके मामा आएं एक छोटा सा बिस्कुट का पैकेट लेकर. संदीप ने वह ले लिया. इस तरह पहला दिन तो निकल गया लेकिन अगले दिन ही मैडम ने ऑडर दिया लड़के अलग बैठेंगे लड़कियां अलग मैं खुश हो गई अब मुझे अपनी सहेलियों के साथ जो बैठने को मिलेगा.


खैर धीरे-धीरे हम बड़े होते गए. मैं क्लास में हमेशा फर्स्ट आती थी और वह थर्ड. मैं कला में सबसे बेहतरीन थी और वह सोशल और संस्कृत में. पहले हम दोस्त थे लेकिन प्यार का अहसास शायद पांचवी में आते-आते ही जहन में आया.


मनीष सीधा-सादा लड़का था. अपने मामा के घर रहता था. पढ़ने में काफी तेज लेकिन कला के पेपर में बेहद कम नंबर आने की वजह से हमेशा थर्ड ही आ पाता था. लेकिन गणित और हिन्दी जैसे विषयों में उसके हमेशा मुझसे ज्यादा नंबर आते थे.

एक ग्रेट लव्ह स्टोरी...

एक ग्रेट लव्ह स्टोरी...
एकदा तिच्या वाढदिवसाच्या दिवशी ती तिच्या प्रियकराची वाट बघत बसली होती. खूप खुश होती ती.
आज तिला तिच्या प्रियकराकडून अंगठी मिळणारहोती. ह्या स्वप्नात ती पूर्ण रंगून गेली होती.
तेव्हड्यात तिचा प्रियकर आला ...त्याला बघून तिला खूप आनंद झाला ...... त्याने तिला Birthday -wish केले , आणि वाढदिवसाची भेट म्हणून ... teddy bear दिला ........... teddy bear बघून ती नाराज झाली , कारण…………….. तिला अंगठी पाहिजे होती ..... ह्या रागात तिने तो teddy मागे फेकून दिला. .......... रस्त्यावार पडलेला teddy पाहून तिचा प्रियकर तो teddy उचलायला गेला आणि…………….. आणि तेव्हड्यात मागून येणार्यागाडीने त्याला उडविले ...आणितो जागीच मरण पावला. हे पाहून तिच्या डोळ्यांतून मुसळधार पाउस पडू लागला .... आक्रोश करून ती रडू लागली .......आणि तिने तो teddy घेऊन त्याला घट्ट मिठी मारली....तेव्हड्यात त्या teddy मध्ये असलेल्या machine मधून आवाज आला कि, " प्रिये,अंगठी माझ्या (teddy च्या) खिशात आहे, Will you plz marry me !!!"

वाटल नव्हत कधी असही कधी घडेल.....!



वाटल नव्हत कधी असही कधी घडेल.....!
एक गोड सोनपरी माझ्या प्रेमात पडेल....
इटुकल्या - पिटुकल्या मेसेज मधून मला वाकुल्या दाखवेल.....
हळूच एखादा MISS CALL करून मला ती सतावेल.....
...
... वाटल नव्हत कधी असही कधी घडेल.....!
स्वप्नामध्ये माझ्या हळूच कोणीतरी शिरेल.....
बोलायला "काहीच नाही" म्हणून फोनवर तासभर बोलेल....
आणि नेमक महत्वाच बोलतानाफोन ठेवण्याची घाई करेल.....
वाटल नव्हत कधी असही कधी घडेल.....!
माझ्याही आठवणीत रात्रभर कोणीतरी जागेल.....
तिच्या विरहाचे चार दिवस चार जन्माचे अंतर दाखवेल.....
आणि तास-दोन तासांची भेट सुद्धा क्षणभर वाटेल.....
वाटल नव्हत कधी असही कधी घडेल....!
या एकाकी जीवनामध्ये त्यापरीचा प्रेमाचा स्पर्श लाभेल......
वाटल नव्हत कधी असही कधी घडेल.....!
एक गोड सोनपरी माझ्या प्रेमात पडेल

प्रेम

त्या दोघांचे एकमेकांवर जीवापाड प्रेम होते.
त्याचं जरा जास्तच. तिच्यासाठी काय करु
आणि कायनको असं त्याला
झालेलं. पण त्याचा खिसा कायम फ़ाटलेला. कडकाच

होता बिचारा. पण भलताच romantic . तिच्याशिवाय
जगण्याची कल्पनाही त्याला करवत
नसे.तिला काहीतरी गिफ़्ट द्यावं असं त्याला मनापासुन
वाटतं होतं. पण द्यायच काय...? खिशात तर
दिडक्या नाहीत..शेवटी न राहवुन त्याने तिला रंगीत
कागदांची फ़ुलंच प्रेझेण्टकेली.. ती खुष
होती..तशीही तिची त्याच्याकडुन फ़ार
मोठी अपेशा नव्हती. तो जे देत होता त्यात
ती समाधानीचहोती..
तसाही तो सामन्यच होता. जेमतेम नोकरी.. भविष्यात
काही करुन दाखवेल असं पाणीही त्याच्यात दिसत
नव्हतं...पण एकमेकांच्या प्रेमात आकंठ बुडालेले ते
दोन जीव सुखात होते.....
पण एक दिवस सगळा नुरच पालटला..ती म्हणाली, "
तुझ्याबरोबरं आयुष्य जगायंच म्हणजे नेहमी असं रडखड्त, मन
मारतचं जगावं लागेल..काय सुखात ठेवणार तुमला..? काय
आहे

तुझ्याकडे...? - तर काहीच नाहि...मी परदेशी चालले
आहे..पुन्हा कधीच परत येणारनाही..तु मला विसर.
आजपासुन आपले मार्ग निराळे.. माझा-तुझा संबंध एकडेच
संपला......."
ती कायमची निघुन गेली...
हा मॊडुन पडला....संपलाच जणुकाही....सर्व काही संपले
त्याच्यासाठी..
दिवस सरले आणि याच्या मनातली दु:खाची लाट ऒसरुन
संतापाच्या लाह्या तड्तडायला लागल्या..त्याने ठरवलं, ’
तिने पॆशांसाठी आपल्याला सोडलं ना..? मग आतापॆसाच
कमवुन दाखवायचा.इतका की आपल्यापुढे सारं जग
तिलाथिटं दिसलं पाहिजे..’
पुढे..


या जिद्दीने पेटुन उठ्ला तो..झोकुन दिलं स्वतःला..! कष्ट
केले..राब राब राबला..मित्रांन ी मदत केली.चांगले लॊक
भेट्ले..त्याचे दिवस पालटले..तो खुप श्रींमत
झाला..स्वतःची कंपनी उभारली..पॆसा, नोकर, चाकर,
गाड्या, मानमरातब सगळं कमावलं.
विरहाच्या आगीतुन, प्रेमभंगाच्या अपमानास्पद
दुःखातुन तो बाहेर पडला..उभा राहिला..जगण्यास
ाठी धडपडला आणि यशस्वीही झाला..पण
तरीही त्याच्या मनात चुटपुट कायमच होती..तीसोडुन
गेल्याची..तिनं नाकारल्याची..आपल्या गरीबीचा अपमान केल्याची..तिच्या
वरच्या प्रेमाची जागा एव्हाना तिरस्काराने घेतली होती..
एक दिवस त्याच्या आलिशान गाडीतुन तो जात
होता.बाहेर मुसळधार पाऊस पडत होता.गाडिच्या काचेतुन बाहेर पाहतो तर म्हातारं व्रुद्ध जोडपं एकाच छत्रीत कुड्कुडत उभं होतं.भिजलेल्या
त्या दोघांना पाऊल उचलणं अवघड झालं होतं.त्याने
गाडी थांबवली.आणि नीट पाहीलं.हे ’ तिचेच’ आईवडील.! त्याने त्यांच्याजवळ गाडी थांबवली..त्यांना गाडीत बसण्याचा आग्रह करावा असं त्याला वाटत
होत.त्याच्या मनातली सुडाची आग जागी झाली होती.
त्यांनी आपली श्रींमती पहावी.त्यानी आपली गाडी पहावी.आपली प्रगती पाहून
त्यांच्या लेकीनं जे काय केलं त्याचा पश्चाताप व्हावा.असं त्याला मनोमन वाटतं होत.तिला धडा शिकवण्याच्या.अपमानाच्या घावांची परतफ़ेड करण्याच्या एका वळणावर आपण आलॊ आहोत हे त्याला जाणवतं. ते दोघे मात्र
स्मशानभुमीकडे थकल्या खाद्यांने चालतच

राहातात.हा गाडीतुन उतरुन त्यांच्या मागे जातॊ.
"..पाहतो आणि कोसळतोच.."


तिचाच फ़ोटो.तसाच हसरा चेहरा आणि कबरीजवळ
ठेवलेली त्याने दिलेली कागदांची फ़ुलं. हा सुन्न झाला.धावतच गेला कबरीकडे.तिच्या आईबाबांना विचारलं.काय झालं ते सांगा.
ते म्हणाले."ती परदेशी कधीच गेली नाही.तिला '
कर्करोग’ झाला होता.तो झाल्याचं कळलं तेव्हा थोडे
दिवस होते तिच्या हातात.आपल्या अकाली जाण्याचं
दुःख तुझ्या वाट्याला येऊ नये म्हणुन
प्रेमभंगाचा चटका देवुन ती गेली.तू संतापुन
उभा राहशील.जगशील.यावर तिचा विश्वास होता.
म्हणुन तिनं तुला सोडुन जाण्याचा नाटक केले.
ती गेली.आणि तू जगलासं
 

अगं वेडे...मी तुझ्यावर प्रेम करतो... Marathi kavita

अगं वेडे...मी तुझ्यावर प्रेम करतो...

ती म्हणाली तू मला इतका कसा ओळखतोस,
कितीदा भेटलास मला की, माझ्या साठीच जगतोस...
आपण एकत्र घालवलेले क्षण किती थोड़े होते,
तरी का रात्रं-दिवस तुला माझीच 'याद' येते.
नीट पहिलेहि नसशील, तू मला डोळे भरून,
तरी मी छळते तुला का, रोज स्वप्नी येऊन?
हे असं होण शक्य तरी कसं आहे,
नक्की माहित नाही, पण माझीही गत तीच आहे.
अगं वेडे... मी म्हणालो, अगं वेडे मी म्हणालो,
क्षण एकच पुरे होता, जो तुझ्या मुळे मी जगलो.
अन् कुणी सांगितलं क्षण ते दोघांचे थोड़े होते,
तुझ्या आठवणीने दिवस उगवतो, आठवणीनेच रात्र होते.
येता जाता उठता बसता क्षण न क्षण मी तुझाच असतो,
तुझ्या सवे गं सखये मी, नित्य नवा असा जगतो.
तुला दु:ख होतं तिथे अन्, आसवे मी गाळतो,
तुला लगते ठेच तिथे अन् पाय माझा रक्ताळतो.
तुला वाटेल का बरे हा नित्य माझ्यासाठी झुरतो,
मी म्हणेन अगं वेडे, मी तुझ्यावर प्रेम करतो...

एकदा का होइना प्रेम करून बघ.

                                     एकदा का होइना प्रेम करून बघ.

 

आयुष्याची दोरी कुणाच्या तरी हातात देऊन बघ..
खुप वेळ असेल तुझ्याकडे..
आयुष्यातील दोन क्षण कुणाला तरी देऊन बघ..
कविता नुसत्याच नाही सुचणार…
त्या साठी तरी एकदा प्रेम करून बघ..
खुप छान वाटत रे..


सर्वात सुंदर भावनेला अनुभवुन बघ…
नुसता तडफातडफी निर्णय घेऊ नकोस..
ह्या गोष्टींचा पण विचार एकदा का होइना करून बघ..
नुसतच काय जगायच..
जिवंतपणी मरण काय असते ते अनुभवुन बघ..
एक जखम स्वतः करून बघ..

 

स्वताच्या पायावर कुर्हाड़ मारून बघ...
नुसत सुखच काय अनुभवायचे..
दुखाच्या सागरात एक डूबकी मारून बघ..
विरहाच्या तलवारीचे घाव सोसून बघ..
थोड्या जखमा स्वतः करून बघ..
रिकाम काय चालायच..?


आठवणीचे ओझे काय असते ते एकदा पेलुन बघ..
रडत असलेले डोळे लपवत..
एकदा हसण्याचा प्रयत्न करून बघ..
सोपं नसत रे…एकदा रडून बघ..
तुझ्या अश्रुंची चव चाखून बघ..
सांगण्याचा हेतु एवढाच की..
एकदा का होइना प्रेम करून बघ..

 

गमतीदार उखाणे - Funny Ukhane

                                  गमतीदार उखाणे - Funny Ukhane

 

आजकाल च्या लग्न ठरलेल्या मुलीसाठी..

मोबाईल वर एफ़ एम् एकते कानात हेडफोन टाकुन ......
मोबाईल वर एफ़ एम् एकते कानात हेडफोन टाकुन ......

आणि ....... रावना मिस कॉल देते एक रूपया बैलेंस राखून..



आजघर माजघर माजघराला नाही दार
गणपतरावांच्या घरात मात्र विंडोज दोन हजार


सचीनच्या बॅट ला करते नमस्कार वाकून
***** रावांचे नाव घेते पाच गडी राखून

इराण्याच्या चहा बरोबर मिळतो मस्का पाव
**** रावांची बाहेर किती लफडी ते विचारू नका राव !!

 

चांदीच्या ताटात मुठभर गहू
लग्नच नाही झाल तर नाव कस घेऊ

श्रावणात पडतोय रोज पारिजातकांचा सडा,
.... ना आवडतो गरम गरम बटाटेवडा.


धनत्रयोदशीला करतात धनाची पुजा,
..... च्या जीवावर करते मी मजा.


मोठा मुलगा श्मभु
******रावान्च्या नाकावर एवढा मोठा टेम्बु

सासर्याच्या मांडवात पंचपक्वांनाच्या राशी,
पोट्टे पाट्टे जेवुन गेले, जावई राहीला उपाशी.

दुधाचे केले दहि, दह्याचे केले ताक,
ताकाचा केला मठ्ठा, ...... चे नाव घेतो ..... रावान् चा पठ्ठा

अत्रावळ पत्रावळ , पत्रावळीवर होती वान्ग्याची फोड
***** हसतात गोड, पण डोळे वटारायची भारीच खोड्

पुरणपोळीत तुप असावे ताजे अन् साजुक,
.... आहेत आमचे फार नाजुक.

पुण्यात बालगंधर्वला नाटक लागलय ' मोरुची मावशी ' ,
........ चे नाव घेते सत्यनारायणाच्या दिवशी.

जीवन आहे एक अनमोल ठेवा,
...... आणतात नेहमी सुकामेवा.

सावित्रीबाई फुलेंनी दिले स्त्री शिक्षणाचे धडे,
..... ना आवडतात गरम गरम साबुदाणे वडे.


मुंबई ते पुणे १५०कि.मी. आहे अंतर,
-- हयांचं नाव घेते, घास भरवते नंतर


कॉरव-पांडव युध्दात अर्जुनाच्या रथाचे श्रीकृष्ण झाले सारथी,
...... आहेत फार निस्वार्थी


सन्डासाच्या पायारीवर टमरेल ठेवते वाकून,
.....रावाना आली जोरदार म्हणून मी ठेवते दाबून्

चान्दिच्या ताटाला चन्दनाचा वेढा,
मी आहे म्हैस तर तो आहे रेडा

 

मितालि बिल्डींग, तिसरा मजला, घर न - ११, घराला लावलि घंटी,
वर्षा माझी बबली आणि मी तिचा बंटी


गच्चीवर गच्ची सिमेंटची गच्ची,
... माझी बायको आहे मोठी लुच्ची


इवल्या इवल्या हरणाचे इवले इवले पाय,
... घरी परतले नाहीत अजुन, कुठे पिऊन पडलेत की काय!!!


ऍश्वर्या-अभिषेक यांची छान जमली जोडी,ईशा देओलने मारली यांच्याही पुढे उडी,
ईशा देओल उडी मारत पडल खड़्यात,ऍश-अभी अडकले नवरा-बायकोच्या नात्यात,


भल्या पहाटे करावी देवाची पुजा ,
...च्या जीवावर करते मी मजा


झेन्डुचे फुल हल्ते डुलु डुलु,
आमचे हे दिसतात जसे डुकराचे पिलु

साठ्यानंची बीस्कीटे, बेडेकरंचा मसाला
--- नाव घ्यायला आग्रह कशाला

 

सुंदर सुंदर हरीणाचे ईवले ईवले पाय,
आमचे हे अजुन कसे नाही आले ,
गटारात पडले की काय ?

डाळित डाळ तुरिचि डाळ
हिच्या मांडिवर खेळविन एका वरशात बाळ

वड्यात वडा बटाटावडा,
... मारला खडा
म्हणून जमला आमचा जोडा.

नाव घ्या नाव घ्या नावाची काय बिशाद
.........तर आहेत माझ्या डाव्या खिशात

5 + 4 इज इक्वल टु नाइन
..... इज माइन

गोव्याहून आणले काजू
गनपतरावान्च्या थोबाडित द्यायला मी कशाला लाजु

 

उखाणे --- कुलवधू  (zee मराठी वरील मालिका)

देवयानी :
कधी सरळ चाले कधी उलटा वळॆ एकदम
काय म्हणू सांगा याला विक्रम की चक्रम

प्रिय दर्शिनी :
स्वतःला म्हणवून राजे, चालतात उंटासारखे तिरके
फ़ुटक्या माझ्या नशिबी आले रणवीर राजेशिर्के 

रागिणी :
तळ्यामधल्या चिखलात जणू उगवलय कमळ
राजेशिर्के असून देखील नील माझा निर्मळ

साक्षी :
काय सांगू तळोबा वाटे मला लाज
असा कसा अतिरेकी झाला माझा राज   
 
 

लग्नातील उखाणे

                                                  लग्नातील उखाणे

 

श्रावणात पडतात सरीवर सरी
-----रावा्ंचे नाव घेते ---- हि बावरी

अमुआ कि दालि पर बोले कोयलिआ
......के सन्ग बिते सारि उमरिया

चान्दिच्या ताटात गाजराचा हलवा ,
--- रावांच नाव घेते सासुबाईना बोलवा.

गुलाबाच्या झाडाला कळ्या येतात दाट
----- नाव घेते सोडा माझी वाट

हंड्यावर हंडे सात त्यावर ठेवली परात
---- बसले दारात मी जाऊ कशी घरात

हिमालय पर्वतावर बर्फाचे खडे
....... चे नाव घेते सत्यनारायणापुढे

आई बापाने वाढवले मैत्रिणीने घडवले
--- चं नाव घ्यायला --- अडवले

हंड्यावर हंडे सात त्यावर ठेवली परात परातीवर ठेवला भात,
भातावर वाढले तुप ते झाले खुप, म्हणून नेले पंढरीला, पंडुरंगाच्या दर्शनाला,
येताना आणले खण ३, आई म्हणे मला, नणंद म्हणे मला ---- म्हणे मी तुझ्यासाठी आणुन केला गुन्हा


 

रातराणीच्या सुगंधाने नीशिगंध झाला मोहित
मागते आयु्ष्य ----- च्या सहीत


संथ संथ वाहे वारा मंद मंद चाले गती
देवा सुखी ठेव ------- ची जोडी


साठ्यानंची बीस्कीटे, बेडेकरंचा मसाला
--- नाव घ्यायला आग्रह कशाला


कुंकु लावत ठसठशीत, ह्ळ्द लावते किंचित,
..... आहेत माझे पूर्व संचित


वड्यात वडा बटाटावडा,
... मारला खडा
म्हणून जमला आमचा जोडा.

 

लागलाय श्रावण कर्ते मी महादेवाची महोभावे पुजा,
.... च्या जीवावर कर्ते मी मजा.


भाजीत भाजी मेथीची,
......माझ्या प्रितीची.


सासर्याच्या मांडवात पंचपक्वांनाच्या राशी,
पोट्टे पाट्टे जेवुन गेले, जावई राहीला उपाशी.

 
 
 

नवरदेवाचे उखाणे

                                                 नवरदेवाचे उखाणे

 

नवरदेवाचे उखाणे
 १) संसारातल्या संकटांची नाही पर्वा आता
    साथ आहे माझ्याबरोबर ......कांता !!!!!
 २) दासांचा दासबोध अनुभवाचा साठा
     ....चे नाव घेतो तुमचा मान मोठा !!!!!
 ३) रंभा मेनका स्वर्गलोकीच्या अप्सरा
     .....चा पायगुण शकुनी खरा !!!!!
 ४) संसाररूपी सागरात पतिपत्नींची नौका
     .....चे नाव घेतो सर्वजण ऐका !!!!!
 ५) सितेसारखे चरित्र, रंभेसारखे रूप
     .....मिळाली आहे मला अनुरूप
 ६) नाशिकची द्राक्षे, नागपूरची संत्री
     .....झाली आज माझी गृहमंत्री !!!!!
 ७) दुर्वाची जुडी वाहतो गजाननाला
    सौ.....सारखी पत्नी मिळाली आनंद झाला मला !!!!!
 ८) वसंतात दरवळतो फुलांचा सुवास
    सौ.....सोबत सुरु केला जीवनाचा प्रवास !!!!!
 ९) दोन शिंपले एक मोती, दोन वाती एक ज्योती
     माझी आणि सौ.....ची अखंड राहो प्रीती !!!!!
१०)जीवनरूपी सागरात सुखदु:खाच्या लाटा
    सुखी संसारात सौ..... चा अर्धा वाटा !!!!!
११)देवाच्या देव्हाऱ्यात फुलांना प्रथम स्थान
    सौ.....ने दिला मला पतिराजांचा मान !!!!!
१२)बकूळ फुलांचा सदा पडे अंगणी
    सौ..... आहे माझी अर्धांगिनी !!!!!
१३)आम्रवृक्षाच्या छायेत कोकिळा करते कुजन
     सौ.....सोबत करतो मी लक्ष्मीपुजन !!!!!

१४)दवबिन्दुच्या थेंबाने चमकतो फुलांचा रंग
    सुखी आहे संसारात सौ..... च्या संग !!!!!
१५)गाण्यांच्या सुराला तबल्याची साथ
    सौ....ने दिला मला प्रेमाचा साथ !!!!!
१६)सासूबाई आहेत प्रेमळ, मेहुणी आहे हौशी
    सौ.....चे नाव घेताना मला होते ख़ुशी !!!!!
१७)अंधश्रद्धेचा पाश करी स्त्रियांचा नाश
     सौ....चे नाव घेतो तुमच्यासाठी खास !!!!!
१८)चांदीच्या वाटीत दहीभाताचा काला
     सौ....चे नाव घेता पहिला आरंभ केला !!!!!
१९)चंदनाच्या झाडाला नागिणीचा वेढा
    सौ.....चा आणि माझा जान्मोजन्माचा जोडा !!!!!
२०)इंग्रजी भाषेत चहाला म्हणतात टी
    सौ....चे नाव घेण्यास लागते डबल फी !!!!!
२१)हिमालय पर्वतात बर्फाच्या राशी
     सौ.....चे नाव घेतो अक्षता पडल्याच्या दिवशी !!!!!
 
 

नवरीचे उखाणे

                                                            नवरीचे उखाणे

 

अमुआ कि दालि पर बोले कोयलिआ
......के सन्ग बिते सारि उमरिया

भाग्याचे कुन्कु प्रेमाचा आहेर
रावांच्या मिठित विसरते मी माहेर

श्रावणात पडतात सरीवर सरी
-----रावा्ंचे नाव घेते ---- हि बावरी

झेन्डुचे फुल हल्ते डुलु डुलु,
आमचे हे दिसतात जसे डुकराचे पिलु

सुंदर सुंदर हरीणाचे ईवले ईवले पाय,
आमचे हे अजुन कसे नाही आले ,
गटारात पडले की काय ?

चान्दिच्या ताटात गाजराचा हलवा ,
--- रावांच नाव घेते सासुबाईना बोलवा.

गुलाबाच्या झाडाला कळ्या येतात दाट
----- नाव घेते सोडा माझी वाट 

हिमालय पर्वतावर बर्फाचे खडे
....... चे नाव घेते सत्यनारायणापुढे 


हंड्यावर हंडे सात त्यावर ठेवली परात
---- बसले दारात मी जाऊ कशी घरात

हंड्यावर हंडे सात त्यावर ठेवली परात परातीवर ठेवला भात,
भातावर वाढले तुप ते झाले खुप, म्हणून नेले पंढरीला, पंडुरंगाच्या दर्शनाला,
येताना आणले खण ३, आई म्हणे मला, नणंद म्हणे मला ---- म्हणे मी तुझ्यासाठी आणुन केला गुन्हा

रातराणीच्या सुगंधाने नीशिगंध झाला मोहित
मागते आयु्ष्य ----- च्या सहीत

संथ संथ वाहे वारा मंद मंद चाले गती
देवा सुखी ठेव ------- ची जोडी

साठ्यानंची बीस्कीटे, बेडेकरंचा मसाला
--- नाव घ्यायला आग्रह कशाला

कुंकु लावत ठसठशीत, ह्ळ्द लावते किंचित,
..... आहेत माझे पूर्व संचित
 
  

वड्यात वडा बटाटावडा,
... मारला खडा
म्हणून जमला आमचा जोडा.

लागलाय श्रावण कर्ते मी महादेवाची महोभावे पुजा,
.... च्या जीवावर कर्ते मी मजा.

सौभाग्यकांक्षिणी करतात गौरईची पुजा,
..... चे नाव घेऊन घेते मी रजा.

नागपंचमीला घरोघरी होते पुरणपोऴी,
.....नी आणली माझ्याकरिता कटकीची चोऴी

श्रावण जलधारांनी शांत होते धरती,
..... च्या पुढे कर माझ्हे जुऴती

वारुळाला जाऊन मी नागाची पुजा करते,
..... चे नाव घेऊन सौभाग्याचे आशिर्वाद मागते

भाजीत भाजी मेथीची,

......माझ्या प्रितीची.  

नाव घ्या नाव घ्या नावाची काय बिशाद
.........तर आहेत माझ्या डाव्या खिशात

रिमझिम जलधारा बरसतात धरतीच्या कलशात,
..... चे नाव घेते असु द्या लक्षात.

श्रावणात बरसतात धुंद जलधारा,
.....च्या नावात फुलावा माझा सौभाग्याचा फुलोरा.

हिरवा श्रावण बहरलाय दरवळली माती,
..... च्या जीवनात सदैव मिळो शांती.

अर्धनारी नटेश्वराच्या मुर्तीप्रमाणे पति पत्नीच्या
एकरुपतेने बनत असतो संसार,
..... चे नाव घेते आज आहे श्रावणी सोमवार.

धरतीताईने आकाशाला राखी बांधुनी जोडीले बंधुत्वाचे नाते,
..... च्या सोबत मी अमरप्रेमगीत गाते

भाद्रपद महिन्यात गोकुळ अष्टमीला पाळणा हलला श्रीकृष्णाचा,
..... चे नाव घेऊन निरोप घेते माहेरचा.

आज आहे श्रावणी पोळा,
..... च्या जीवावर शृंगार केले सोळा. 

हरतालिकेनंतर येते गणेशचतुर्थी,
..... आहेत फार निस्वार्थी

हरतालिकेला सुहासिनी करतात महादेवाची पुजा,
..... च्या सहवासात खरी माझी मजा

हुमायुनला राखी देउन कर्मावतीची भारतीय इतिहासात अमर झाली बंधुप्रिती,
हैदरभाईंना राखी बांधुनी ..... ची व माझी सफल झाली जीवन ज्योती.

अश्वीन प्रतिपदेला देवीचे बसता घट,
..... नी आमलाय माझ्याकरिता सोंगतट्यांचा पट.

नवरातत्रीनंतर येतोय दसरा,
.....चा चेहरा नेहमी असतो हसरा.

धनत्रयोदशीला करतात धनाची पुजा,
..... च्या जीवावर करते मी मजा.

सिद्धिविनायकाच्या देवळाला सोन्याचा कळस
.....याच नाव घ्यायला मला नाही आळस

भाऊबहिणीच्या प्रेमाचे प्रतिक आहे रक्षाबंधन,
....ना करीते मी रोजच वंदन.

श्रावण महिन्यात वाजतगाजत येतात गौरी गणपती,
....चे नाव घेते ते आहेत माझे प्रेमऴपती.
तडजोड हा मंत्र आहे दोन पिढ्यांना जोडणारा पूल
...ना आवडते गावठी गुलाबाचे फुल 

 

झक्कास् विनोद् ('राष्ट्रपिता' )

                                            झक्कास् विनोद् ('राष्ट्रपिता' )

 

एकदा देवाने माधवराव शिंद्यांना विचारलं, "तुम्हाला मुलं किती?"
माधवराव शिंदे म्हणाले, "एक".
देवाने खूश होऊन त्यांना एक नवीकोरी मर्सिडीझ भेट म्हणून दिली.
नंतर देवाने विलासराव देशमुखांना विचारलं, "तुम्हाला मुलं किती?"
विलासराव म्हणाले, "तीन".
देव थोडासा नाराज झाला आणि त्याने त्यांना एक होंडा सिटी भेट म्हणून दिली.
त्यानंतर देवाने लालूप्रसाद यादवांना विचारलं, "तुम्हाला मुलं किती?"
लालू म्हणाले, "बारा".
देव चिडला. त्याने लालूंना एक जुनीपुराणी स्कूटर दिली.
हे तिघे रस्त्यातून जात असताना काही वेळाने त्यांना गांधीजी चालत येताना दिसले.
लालूंनी गांधीजींना विचारलं, "काय हो गांधीजी, देवाने तुम्हाला काही दिलं नाही वाटतं?"
गांधीजी म्हणाले, "ते राहू द्या.
आधी मला सांगा की देवाला कोणी सांगितलं की मला 'राष्ट्रपिता' म्हणतात?"

 

Saturday 16 February 2013

तू समजुन का घेत नाही..........

                               तू समजुन का घेत नाही..........

 

 

तू समजुन का घेत नाही..........
कसं गं तुला काही समजत नाही !
साधी,सरळ आणी सोपी गोष्ट आहे,
तुझ्याशिवाय मला राहवत नाही !

इतक्या सहजासहजी जाऊ का विचारतेस,
भावना का माझ्या तुला जाणवत नाही !
साधी,सरळ आणी सोपी गोष्ट आहे,
तुझ्याशिवाय मला करमत नाही !

तू दुर असलीस की जगही खायला उठतं,
कशातच लक्ष माझं लागत नाही !
एवढही तुला कसं कळत नाही,
तुझ्याशिवाय माझ्या जगण्यालाच अर्थ नाही !

कधी कधी असं वाटतं,
तू फक्त दाखवतेस की तुला समजत नाही !
 
माझ्या भावना तू चांगल्या जाणतेस,
पण मुद्दामच तू मला भेटत नाही !!
 
न भेटण्याने आता काही होणार नाही,
मी तुझ्याशिवाय क्षणभरही जगु शकणार नाही !
आपले मिलन ही तर दैवाचीच इच्छा,
त्याला तू किंवा मी टाळु शकणार नाही !!
 
तुझं नि माझं जन्मोजन्मीचं नातं आहे,
हा काही आज उद्याचा खेळ नाही !
तुझ्याशिवाय मी आणी माझ्याशिवाय तू,
असं स्वप्नातही शक्य होणार नाही !!
 
किती साधी,सरळ आणी सोपी गोष्ट आहे,
तू हे समजुन का घेत नाही !!
 
 
 
 

माझा विश्वास आहे त्या देवावर!! आपल्या प्रेमावर !!

तो -वेडी आहे का तू ?काही पण हा ..आपले काय लग्न झालाय का ?
ती -नाही झाले म्हणून काय ?
तो -नाही झाले म्हणून तर विचारतोय न काय हा वेडेपणा ?
ती -तुला वेडेपणा वाटतोय ?
तो -मग काय हे वट सावित्रीचे व्रत लग्न झालेल्या स्त्रियांनी करायचे असते न ?
मग तू का केलायस ?
ती -तुज्यासाठी ..!
तो -अग पण का ?आपले लग्न कुठे झालाय ,अन तसे पाहता मी तुझा नाहीच आहे मूळी.मग तरी पण का ?
ती -वट सावित्री हे व्रत फक्त विवाहित स्त्रियांनी करावे असे काही नाही . या व्रतामागे खूप मोठा अर्थ आहे ..
तो -अर्थ ?
ती -अरे असे काही खास कारण नाही .जेव्हा सावित्री अन सत्यवान च लग्न होणार होते तेव्हा तिला आधीच
सांगितले होते कि सत्यवान फक्त एक वर्ष जगू शकेन .तरी पण तिने त्याचाशीच लग्न केले ..
तो -मग त्याचे काय .?
ती -तिला एवढा विश्वास होता तिच्या प्रेमावर ,आणि देवावर कि यमाच्या द्वारातून तिने सत्यवान चे प्राण परत आणले .
तो -hmm..
ती -आपल्या दोघांचे लग्न नाही होणार !! ? म्हणून काय झाले मानाने ,हृदयाने मी तुला माझा पती च मानलंय.मग एका
छोट्याशा व्रताने माज्या पतीला दीर्घायुष्य मिळणार असेल ,तर का करू नये ?या जन्मी तू माझा नसशील कदचित ..
पण पुढच्या जन्मी तर असशील ना?माझा विश्वास आहे त्या देवावर!! आपल्या प्रेमावर !!
Photo: तो -वेडी आहे का तू ?काही पण हा ..आपले काय लग्न झालाय का ? ती -नाही झाले म्हणून काय ? तो -नाही झाले म्हणून तर विचारतोय न काय हा वेडेपणा ? ती -तुला वेडेपणा वाटतोय ? तो -मग काय हे वट सावित्रीचे व्रत लग्न झालेल्या स्त्रियांनी करायचे असते न ? मग तू का केलायस ? ती -तुज्यासाठी ..! तो -अग पण का ?आपले लग्न कुठे झालाय ,अन तसे पाहता मी तुझा नाहीच आहे मूळी.मग तरी पण का ? ती -वट सावित्री हे व्रत फक्त विवाहित स्त्रियांनी करावे असे काही नाही . या व्रतामागे खूप मोठा अर्थ आहे .. तो -अर्थ ? ती -अरे असे काही खास कारण नाही .जेव्हा सावित्री अन सत्यवान च लग्न होणार होते तेव्हा तिला आधीच सांगितले होते कि सत्यवान फक्त एक वर्ष जगू शकेन .तरी पण तिने त्याचाशीच लग्न केले .. तो -मग त्याचे काय .? ती -तिला एवढा विश्वास होता तिच्या प्रेमावर ,आणि देवावर कि यमाच्या द्वारातून तिने सत्यवान चे प्राण परत आणले . तो -hmm.. ती -आपल्या दोघांचे लग्न नाही होणार !! ? म्हणून काय झाले मानाने ,हृदयाने मी तुला माझा पती च मानलंय.मग एका छोट्याशा व्रताने माज्या पतीला दीर्घायुष्य मिळणार असेल ,तर का करू नये ?या जन्मी तू माझा नसशील कदचित .. पण पुढच्या जन्मी तर असशील
ना?माझा विश्वास आहे त्या देवावर!! आपल्या प्रेमावर !! 

आम्ही आणि क्रेडिट कार्ड वाली कन्या !

                             आम्ही आणि क्रेडिट कार्ड वाली कन्या !

 

आपण कुठल्या ना कुठल्या कामात असताना ह्या क्रेडिट कार्ड वाल्यांचा फोन येत नाही असे होत नाही. आधि मला सुध्दा संताप यायचा पण मग आता आम्ही ह्याचा आनंद घ्यायला शिकलो आहे, आणी आता तर आमची खात्रीच झाली आहे कि हे फोन आम्हाला तणावमुक्त करण्यासाठीच येतात. आपल्यालाहि ह्यातुन काही फायदा व्हावा ह्या सदहेतुने आमचे संभाषण येथे देत आहोत. (ह्यात कोणालाहि दुखवायचा हेतु नाही.)
वेळ :- दुपारी २.१५ (गरगरित जेवण करुन नुकतेच आडवे झालो आहोत)
कन्या :- गुड आफ्टरनून सर, आय एम कॉलींग फ्रॉम दरोडा बॅंक.
आम्ही :- जय महाराष्ट्र ! (पहिल्याच चेंडुवर षटकार)
कन्या :- नमस्ते सर, मी दरोडा बॅंकेमधुन बोलतीये, आम्ही एक नविन क्रेडिट कार्ड लॉंच करतोय त्या विषयी माहिति द्यायला हा फोन केला होता सर. तुम्ही इंट्रेस्टेड आहात का सर ?
आम्ही :- कोणाच्यात ?
कन्या :- सर कार्डमध्ये हो
आम्ही :- ओह्ह अच्छा , काय आहे ना कि आयुष्यात पहिल्यांदा कोणीतरी येवढ्या गोड आवाजात इंट्रेस्टेड आहात का ? असे विचारले हो, त्यामुळे जरा गोंधळ उडाला बघा.
कन्या :- (मनातल्या मनात खुश झाली असावी) मग सर तुम्हाला कधि वेळ आहे ?
आम्ही :- अहो तुमच्या साठी वेळच वेळ आहे आमच्याकडे !
कन्या :- तसे नाही सर, ह्या कार्ड विषयी माहिती देण्यासाठी.
आम्ही :- अहो असे मला गोंधळवु नका हो, एक तर सुंदर मुलीशी बोलायचे म्हणजे आमची आधिच वाचा बसते. मला सांगा तुमच्याच कार्डची माहिती मी तुम्हाला कशी आणी का द्यायची ?
कन्या :- (डबल खुश होत ) अय्या अहो सर म्हणजे तुम्हाला कधी वेळ आहे ? आमचा प्रतिनिधी येउन तुम्हाला पुर्ण माहिती देइल.
आम्ही :- एक प्रश्न विचारतो रागवु नका, तुमचे नाव मंजिरी आहे का हो ? आणी तुम्ही अहिल्यादेवी शाळेत होता का ?
कन्या :- नाही ! आपण कार्ड विषयी बोलुयात का ?
आम्ही :- बघा रागवलात ना तुम्ही ? आहो एक खुप चांगली मैत्रिण होती हो माझी ह्या नावाची, अगदी असाच गोड आवाज आणी असेच जड जड मराठी शब्द वापरायची सवय होती हो तिला. तुमचा आवाज ऐकला आणी तिच आठवली बघा पटकन, माफ़ करा मला. म्हणतात ना आपली दुख: हि लोकासाठी विनोद असतात तेच खरे.
कन्या :- (भावुक स्वरात) नाही रागावले नाही सर. कुठे असतात त्या आता ? त्या पण बॅंकेत असतात का ?

आम्ही :- नाही हो, लहानपणीचा ताटातुट झाली आमची, कुठे आहे काय करते ... काही काही माहीत नाही हो. (आम्ही जमेल तेव्हड्या दु:खी सुरात)
कन्या :- (चिकाटी न सोडता) ओह, सो सॉरी सर. आज वेळ काढु शकाल का सर तुम्ही ?
आम्ही :- हो जरूर, तुम्हाला भेटुन आनंदच होइल मला. पुन्हा त्या जुन्या आठवणी ताज्या होतील आणी मग आज तरी निदान दारू ची गरज लागणार नाही मला... (फुल्ल टु देवदास इस्टायील)
कन्या :- सर, मला भेटुन ? आमचा त्या भागातला एजंट येउन भेटेल सर तुम्हाला. मी नाही. (हळु हळु कन्या त्रासीक स्वरात बोलायला लागली आहे.)
आम्ही :- अरे असे कसे ? फोन करणार तुम्ही, वेळ देणार आम्ही तुम्हाला, आणी तो का भेटायला येणार ? मेहनत करे मुर्गा आपले मुर्गी आणी अंडा खाये फकीर ?
कन्या :- (प्रचंड नाराजीने) सर, आम्ही फक्त कॉल सेंटर साठी काम करतो. लोकांना भेटण्यासाठी वेगळी माणसे नेमली आहेत.
आम्ही :- अच्छा म्हणजे फोनवर टोप्या घालणारी आणी प्रत्यक्षात टोप्या घालणारी वेगवेगळी माणसे आहेत तर !!
कन्या :- पार्डन सर ?? (आतुन संतापाचे स्फोट होत असावेत त्यामुळे कन्या परत इंग्लिश वर घसरली आहे)
आम्ही :- नाही म्हणजे तुमच्या भेटिचा योग नाहीच म्हणा की, काये मन कसे वेडे असते बघा, लगेच तुमच्या भेटीची स्वप्न रंगवुन तय्यार. लबाड कुठले !
कन्या :- सर सध्या तुम्ही कुठले कार्ड वापरत आहात ?
आम्ही :- नेटवाला.कॉम चे. पण ४ वर्ष झाली अजुन कसे आणी कुठे वापरायचे ते कळाले नाहिये.
कन्या :- सर, मी क्रेडिट कार्ड बद्दल बोलत आहे.
आम्ही :- हो, ते तुम्ही फोन उचलल्या उचलल्या सांगीतलेत की !
कन्या :- सर, आय मिन सध्या तुम्ही कुठले क्रेडिट कार्ड वापरता ?
आम्ही :- अहो रेशन कार्ड नाहिये माझ्याकडे अजुन, क्रेडिट कार्ड बद्दल काय विचारताय ? पण खरच आपण नाहि का हो भेटु शकणार ? अगदी तुमच्या सोयीच्या वेळी.
कन्या :- सर तुम्हाला कार्ड हवे आहे का ? मला बाकीच्या ग्राहकांना सुध्दा फोन करायचे आहेत. प्लिज कार्ड विषयी बोला.
आम्ही :- तुम्ही तुमचे काम उरकुन घ्या ना निवांत. माझा नंबर तर आहेच तुमच्याकडे, संध्याकाळी तुम्ही मोकळ्या झाल्यात की मग एक मिस कॉल द्या, मी करतो तुम्हाला फोन.
(पलिकडुन असभ्य काहितरी पुटपुटल्याचे ऐकु येउन खाडकन फोन आदळला जातो.)

ek prem katha

                                                        ek prem katha 

 

एक मुलगा होता, कैंसर असलेला आणि जास्तीतजास्त एकच महीने आयुष्य असलेला.
एक मुलगी त्याला आवडत होती, जी एका Music CD च्या दुकानामध्ये काम करीत होती.
परंतु त्याने त्या मुलीला आपल्या प्रेमाविषयी काहीच सांगितलेले नव्ह्ते…..
नेहमी तो तिच्या दुकानात जात होता आणि एक सीडी विकत घेत होता, का – तर तिच्याशी दोन शब्द बोलता यावे म्हणून ….
महीना उलटला…त्याचे आयुष्य ही संपले.

महिन्यानंतर ती मुलगी त्याच्या घरी जाते….तो गेलेला आसतो हे त्याच्या आईकडून तिला कळते.
तिला वाईट वाटत. आणि एक गोष्ट तिला तिथे दिसते ती अशी की, त्या सर्व सीडींपैकी एकपन सीडी त्याने उघडूनसुद्धा पाहिलेली नसते. याचे तिला खूप रडू येते. ती रडते रडते आणि शेवटी ती पण निघून जाते.

तिच्या रडण्याचे कारण की, त्याला दिलेल्या प्रत्येक सिडिच्या कव्हरमध्ये त्याच्यासाठी एक चिट्ठी तिने ठेवली होती.
ती सुद्धा त्याच्यावर प्रेम करत होती…………  

खारट कॉफी

                                                              खारट कॉफी

 

त्याला ती एका पार्टीत भेटली. खुप सुंदर होती ती. साहजिकच तिच्या मागे खुपजण होते. ती सुंदर होती, बुध्दिमानही होती. सर्वांनाच हवीहवीशी वाटणारी. पण ती कोणालाच जवळीक साधु देत नव्हती.
तो फार साधा. आर. के. लक्ष्मणच्या 'कॉमनमॅन' सारखा. त्याला तर त्याचे मित्रही भाव देत नव्हते. मग तिच्यासारख्या मुली तर चंद्राइतक्या अप्राप्यच! तिचं त्याच्याकडं लक्षही नव्हतं त्या पार्टीत. आपल्याच विश्वात मश्गुल होती ती!
पण आपण धाडस करायचच, असं ठरवून, सारं बळ एकवटुन त्यानं तिला विचारलं, 'तु पार्टी संपल्यावर माझ्याबरोबर कॉफी प्यायला येशील?' तिला 'नाही' म्हणणं फार सोप्पं होतं. पण त्याच्या डोळ्यांतले नितळ, पारदर्शी भाव आणि आवाजातलं आर्जव जाणुन तिला का कोण जाणे, 'हो' म्हणावसं वाटलं. ती 'हो' म्हणाली आणि त्याचं टेन्शन शतपटीनं वाढलं. या शक्यतेचा त्यानं विचारच केला नव्हता!
जवळच्याच कॉफी पार्लरमध्ये दोघं कोप-यातल्या टेबलावर बसली. कॉफीची ऑर्डर दिली. पण काय बोलायचं, हे त्याला सुचेचना! तो खुपच नर्व्हस झाला होता. आणि या गप्प गप्प अशा विचित्र डेटनं तीसुध्दा अवघडली. झक मारली आणि याला हो म्हटलं, असंही मनात आलं तिच्या!
कॉफीचा एक घोट पोटात गेल्यावर अचानक त्याला कंठ फुटला. त्यानं वेटरला हाक मारली. वेटर प्रश्नार्थक चेह-यानं टेबलाजवळ येऊन उभा राहीला. तो म्हणाला, 'थोडं मीठ देता? मला कॉफीत टाकायचंय!' सारं कॉफी शॉप या अनपेक्षित मागणीनं गोंधळात पडलं. विचित्र नजरेनं सारे त्याच्याकडे पाहु लागले. तीसुध्दा!
वेटरनं मुकाट्याने मीठ आणुन दिलं आणि देताना - "कैसे कैसे लोग आते है!" अशा अर्थाचा चेहराही केला. त्यानं मीठ कॉफीत टाकलं आणि तो कॉफी पिऊ लागला! ती खरंच गोंधळली होती. अशी विचित्र डेट आणि आता कॉफीमध्ये चक्क मीठ! अखेरीस तिनं विचारलंच "पण तुला ही अशी जगावेगळी सवय कशी काय लागली?"
"माझं लहानपण समुद्रकाठी गेलं..." शब्दांची जुळवाजुळव करत तो म्हणाला... "सारखा मी समुद्राच्या पाण्यात खेळत असे. आई कॉफी प्यायला हाक मारायची, तसा मी धावत धावत व्हरांड्यात येई आणि खारटलेल्या पाण्यानं खारटलेली बोटं बशीतल्या कॉफीत बुडवून पीत असे. आता आई राहिली नाही. आणि ते समुद्रकाठचं घरही. पण खारट कॉफीची चव जिभेवर आहे. खारटलेल्या कॉफीनं मला लहानपणच्या आठवणी पुन्हा भेटतात. ती चव बरोबर सगळं बालपण घेऊन येते..." भरलेल्या डोळ्यांनी तो म्हणाला.
तिचं ह्र्दय भरून आलं - त्याच्या निरागसतेनं. किती हळुवार होतं त्याचं मन. मग तीही बोलली... आपल्या दुरवरच्या घराबद्दल, बाबांबद्दल... तिच्या स्वप्नांबद्दल... खरचं खुप छान डेट झाली ती!
मग ते पुन्हा पुन्हा भेटत राहीले. 

अखेर तिला पटलं, हाच आपला जीवनसाथी. तो शांत होता. संयमी होता. हळुवार होता. तिची काळजी घेणारा होता. मग एके दिवशी दोघांनी ठरवलं आणि लग्न केलं! चार-चौघांसारखं आयुष्य सुरु झालं आणि दिवस खुप मजेत जाऊ लागले. एखाद्या परीकथेसारखे. खरंच त्यांचं आयुष्य खुप सुखी होतं. ती त्याच्यासाठी सर्वकाही करायची. कॉफीसुध्दा! आणि हो, त्याच्या बालपणाशी त्याची नाळ जोडलेली राहण्यासाठी चिमुटभर मीठही टाकायची त्या कॉफीत!
अशीच भर्रकन ४० वर्षं कधी उडुन गेली, ते कळंलच नाही. एके रात्री तो झोपला, तो पुन्हा कधीच न उठण्यासाठी...!
काही दिवसांनी ती सावरली. रोजचे व्यवहार नेहमीप्रमाणे करू लागली. एकदा सहज म्हणुन त्याचं पुस्तकांच कपाट आवरायला घेतलं असताना तिला त्यात एक चिठ्ठी सापडली. त्याच्या अखेरच्या दिवसात त्यानं ती कधीतरी लिहीली होती.
"माझ्या प्राणप्रिये, मला माफ कर! आयुष्यभर मी तुझ्याशी एका बाबतीत खोटं वागलो, त्याबद्द्ल मला क्षमा कर! हे एकच असत्य मी तुझ्याशी बोललो... पहिल्यांदा आणि शेवटचं! आयुष्यभर ही खंत मला जाचत राहिली. पण मी कधी तुला खरं सांगण्याची हिंमत करू शकलो नाही... केवळ तु मला खोटारडा म्हणशील आणि मी तुला गमावून बसेन या भीतीने!
प्रिये, आपण सर्वप्रथम जेव्हा कॉफी पार्लरमध्ये भेटलो, तेव्हा मला कॉफीमध्ये घालण्यासाठी खरं तर साखर हवी होती! त्या क्षणाला मी इतका नर्व्हस झालो होतो, की मी साखरेऐवजी चुकून मीठ मागितलं वेटरकडे. आणि मग त्या विषयावरून आपलं संभाषण सुरू झालं म्हणुन मी ते तसंच पुढे चालवून घेतलं...
खारट कॉफी मला आवडत नाही. किती विचित्र चव ती! पण मला तु खुप आवडतेस... आणि तुला गमावू नये म्हणुन आयुष्यभर मी खारट कॉफी मी पीत राहिलो.
...आता मरण्याआधी मी तुझ्यापाशी सत्य उघड केलंच पाहीजे. नाही तर हे खोटेपणाचं ओझं मी पेलू शकणार नाही! प्लीज - मला माफ करशील?"  

प्रेम म्हणजे काय?

                                                 प्रेम म्हणजे काय?

 

आपण एखाद्यावर प्रेम करतो म्हणजे काय करतो? आपण कधी त्याचा विचार करतो का? बऱ्याचदा नाही. मग खाली दिलेली ही गोष्ट वाचा. प्रेम म्हणजे काय याचा अर्थ कदाचित तुम्हाला कळेल.


एकदा एका प्रेयसीनं तिच्या प्रियकराला विचारलं,
सांग बरं तुला मी का आवडते? तू माझ्यावर प्रेम का करतो?
अगं, मी अशी काही कारणं सांगू शकत नाही. पण तू मला आवडतेस हे मात्र नक्की.

अरे तू माझ्यावर प्रेम करतोस, मग तुला माहित नाही, तू का प्रेम करतोयस ते? तुला मी का आवडते हेच माहित नसेल तर तुला माझ्याविषयी वाटणाऱ्या भावनेला प्रेम तरी का म्हणायचे?


प्रिये, अगं खरंच. मला त्याचं कारण माहित नाहीये. पण तरीही माझं तुझ्यावर प्रेम आहे आणि मी ते सिद्ध करू शकतो.
सिद्ध काय कसंही करू शकशील रे. पण मला कारण हवंय. माझ्या मैत्रिणीच्या बॉयफ्रेंडने ती का आवडते याची ढिगानं कारणं दिली होती. तुला एवढीही कारणं सुचत नाहीयेत?

 

ठीक आहे. तुला कारणंच हवीत ना मग ही घे सांगतो.
मला तू आवडते कारण तू सुंदर आहेस.
तुझा आवाज सुंदर आहे.
तू अतिशय काळजी घेणारी आहेस.
तू अतिशय प्रेमळ आहेस
तू विचारी आहेस.
तुझे हास्य मोहक आहे.
तूझी प्रत्येक हालचाल मला वेड लावते.


प्रेयसी प्रियकराच्या या स्पष्टीकरणावर जाम खुश झाली. दुर्देवाने काही दिवसांनंतर त्या प्रेयसीला अपघात झाला आणि ती कोमात गेली. प्रियकर तिला लगोलग भेटायला गेला. पण कोमात असल्याने संवाद साधणंच शक्य नव्हतं. अखेर निरूपायने तो एक पत्र तिच्या उशाशी ठेवून गेला. त्या पत्रातला मजकूर असा.

प्रिये,
तुझ्या गोड आवाजावर मी प्रेम करत होतो.
पण आता तू बोलू शकतेस का?
नाही. त्यामुळे मी तुझ्यावर प्रेम करू शकत नाही.

तुझा काळजी घेण्याचा स्वभाव मला आवडायचा. पण आता तू तो स्वभाव दाखवूच शकत नाही. त्यामुळे मी तुझ्यावर प्रेम करू शकत नाही.

तुझे मोहक हास्य नि तुझे विभ्रम मला चित्तवेधक वाटायचे. म्हणून मी तुझ्यावर प्रेम करायचो.
पण आतातू हसू शकतेस? तुझे विभ्रम दाखवू शकतेस? नाही. म्हणून मी तुझ्यावर प्रेम करू शकत नाही.
प्रेम करण्यासाठीच कारणंच हवी असतील तर आत्ता याक्षणी तुझ्यावर प्रेम करण्यासाठी माझ्याकडे कारणच नाही.




खरोखरच प्रेमाला कारणांची गरज असते?
नाही. नक्कीच नाही. म्हणूनच....
मी अजूनही तुझ्यावर तितकंच गाढ प्रेम करतोय.


थोडक्यात या गोष्टीचे निष्कर्ष असे.
खरे प्रेम कायम रहाते. उडते ती वासना.
प्रेमाचे बंध आयुष्यभरासाठी असतात, पण ते प्रेमात पडलेल्यांना पुढे नेतात. मागे खेचत नाहीत.
बालिश प्रेम म्हणते, मला तुझी गरज आहे, म्हणून मी तुझ्यावर प्रेम करतो.
परिपक्व झालेले प्रेम म्हणते, मी प्रेम करतो म्हणून मला तुझी गरज आहे.
तुमच्या आयुष्यात कुणी यावं हे तुमच्या कपाळावरची नशीबाची रेषा सांगते, पण तुमच्या आयुष्यात कुणी थांबायचं हे तुमचे ह्रदय ठरवते.
प्रेमकथा महत्त्वाच्या नसतात, महत्त्वाची असते, ती तुमच्यातील प्रेम करण्याची क्षमता. 


आणि शेवटी....
ज्यांचा देवावर विश्वास असतो, ते भूतलावर असतात आणि देव मात्र स्वर्गात असतो. पण जे देवावर प्रेम करतात ते त्याच्यासमोर असतात.


  

असंही प्रेम असतं!! One Beautyfull story For You

                          असंही प्रेम असतं!! One Beautyfull story For You

 

अशाच एका संध्याकाळी,मन खुप जास्तच उदास झालं होतं....

काय करु? काहीच सुचतं नव्हतं...

उगाच मनात विचार आला, चल स्मशानात जाऊयात....

गेलो मग स्मशानात एकटाच!बसलो एका थडग्याजवळ जाऊन....

थडगे ताजे वाटत होते....मनात कुतूहल जागले....

थडग्यावरचे नाव वाचले...' महनाज़ खान ' '१९८६-२००७'...

म्हणजे माझ्याच वयाची असेल!

कसं ग्रासलं असेल मृत्युने तिला?काय कारण असेल?

आजार? खून? का... का बाळंतपणात दगावली असेल ती?

मनात उगाच प्रश्नांचे काहूर उठले...

तेव्हढ्यात एक मुलगा त्या थडग्यावर फुले ठेवण्यासाठी आला....

मी त्याला विचारले ' तू भाऊ का तिचा?'

तो म्हणाला 'नाही, मी तो, ज्याच्यासाठी तिने आत्महत्या केली!'

मी विचारले ' आत्महत्येचं कारण?'


तो म्हणाला ' मला ब्लड कॅन्सर झालाय! २ आठवडे उरले आहेत फक्त!'

मी चकीत झालो!

विचारले ' मग तिने आत्महत्या का केली? तू जिवंत असतानाही?'

तो म्हणाला ' ती माझ्या स्वागताच्या तयारीसाठी पुढे गेली आहे


प्रपोज...Propose

गंधा (सुगंधा) आणि राजा दोघं कितीतरी वेळ नुसते एकमेकांकडे पाहत होते. ते एक महिन्यापासून एकमेकांना ओळखत असले तरी प्रत्यक्ष एकमेकांसमोर प्रथमच आले होते. ते एकमेकांना नुसते ओळखतच नसून त्यांनी सर्वार्थाने एकमेकांना जाणून घेतले होते. एकमेकांच्या स्वभावातल्या सर्व खाचाखोचा त्यांना माहित झाल्या होत्या. तरीही प्रत्यक्ष एकमेकांसमोर येताच त्यांना काय बोलावे काही सुचत नव्हते. ते एवढे स्तब्ध होते की जणू दोन-दोन तिन-तिन पानांची मेल करणारे ते आपणच का? अशी क्षणभर त्यांना शंका यावी. शेवटी त्यानेच पुढाकार घेवून सुरवात केली,


                 '' ट्रॅफिकमधे अडकलो होतो म्हणून उशीर झाला.... ग    ''

                      '' मी तर साडेचार पासूनच तूझी वाट पाहत आहे...''  गंधा  म्हणाली.

                       '' पण तू तर पाचची वेळ दिली होतीस'' ... राजा म्हणाला.

फक्त सुरवात करण्याचाच अवकाश, आता ते एकमेकांना चांगले मोकळे बोलू लागले. मग मनमुराद पणे बोलणे सुरु झाले. म्हणजेच गप्पा सुरु झाल्यात.
बोलत बोलताच  ते हळू हळू बीचच्या रेतीवर समुद्राच्या किनाऱ्या-किनाऱ्याने चालू लागले. चालता चालता केव्हा त्यांचे हात आपसूकच एकदूसऱ्यांच्या हातात गुंफले, त्यांना कळलंच नाही. कितीतरी वेळ हातात हात घालून ते बीचवर फिरत होते. सुर्यास्त होवून गेला होता आणि आता अंधारही पडायला लागला होता. मधेच अचानक थबकून, गंभीर होवून विवेक म्हणाला,.......


                         '' गंधा ... एक गोष्ट विचारू?''

                        तिने डोळ्यांनीच होकार दिला.

माझ्याशी लग्न करशील?'' त्याने सरळच तिला विचारले.....

तेव्हा गंधा काय बोलणार होती...........

त्याच्या त्या अनपेक्षित प्रश्नाने ती एक क्षण गोंधळून गेली. आपल्या गोंधळलेल्या मनस्थितीतून सावरताच तिने काही न बोलता लाजून खाली मान घातली.


अरे............ राजा मी अजुन तसा काही विचार नाही केलाय रे ...( मनातील विचार)

                   राजच हृदय आता जोरजोराने धडधडायला लागलं होतं. 
   
                      आपण मनाचा हिय्या करुन हा प्रश्न तर विचारला...

                           पण ती 'हो' म्हणेल की 'नाही'?...


   तो तिच्या उत्तराची प्रतिक्षा करु लागला.

                      आपण हा प्रश्न विचारायला जरा घाईच तर नाही ना केली?...

                                ती जर 'नाही' म्हणाली तर?...

                  त्याच्या डोक्यात नाना शंका डोकावू लागल्या.

                           थोड्या वेळाने ती म्हणाली,

                        '' चला आपल्याला निघायला पाहिजे..''

            तिने बोलायला सुरवात केली तेव्हा पुन्हा त्याचे हृदय धडधडायला लागले होते...

                       पण हे काय तिने त्याच्या प्रश्नाचे उत्तर टाळले होते...

    पण तो एक पीएचडी चा विद्यार्थी होता. कोणत्याही प्रश्नाचा छडा लावणे त्याच्या रक्तातच होते.

             '' गंधा ... तू माझ्या प्रश्नाचे उत्तर दिले नाहीस..'' त्याने तिला हटकले.

        '' चल मी तुला सोडून येते'' ती पुन्हा त्याच्या प्रश्नाच्या उत्तराला टाळत म्हणाली.

                  पण तोही काही कमी नव्हता.

                  '' अजून तू माझ्या प्रश्नाचे उत्तर नाही दिलेस''

ती लाजेने चूर होत होती. तिची मान खाली झूकलेली होती आणि तिचा गोरा चेहरा लाजेने लाल लाल झाला होता. ती आपल्या भावना लपविण्यासाठी पायाच्या अंगठ्याने जमीन कुरेदू लागली.


                     '' मी थोडीच नाही म्हणाले'' ती कशीबशी खाली मान ठेवूनच म्हणाली.

आपल्या तोंडून हे शब्द बाहेर पडले याचे तिचे तिलाच आश्चर्य वाटत होते.राजाचा  आतापर्यंत भांड्यात पडलेला जीव आता कुठे सावरला होता. त्याला इतका आनंद झाला होता की त्याला तो कसा साजरा करावा काही सुचत नव्हते. त्याने न राहवून तिला प्रेमाने आपल्या घट्ट मिठीत ओढून घेवून उचलले....

टिप: वरील कथानक हे श्री बाबासाहेब लोखंडे ह्याच्या जवालिक ह्या पुस्तकातील आहे
मला ते कथानक खुपच आवडले .म्हणून मी थोडक्यात ते इथे सांगण्याचा प्रयत्न केलाय तुम्हला आवडल असेल अशी मी आशा करतो ..