हेलो दोस्तों, यूं तो मेरे पास काम का कोई टोटा नहीं है लेकिन हाल के दिनों में मुझे रेडियो 92.5 के रेडियो जॉकी नीलेश मिश्रा से काफी प्रेरणा मिली है. उनकी कुछेक कहानियां मुझे इतनी अच्छी लगी कि मैंने भी प्रेम कहानियां लिखने की सोची. कुछेक कहानियां तो मैंने भी लिखी और वाकई आप लोगों ने इसे काफी पढ़ा. “रिश्तों की उधेड़बुन” के चार भाग मैंने लिखे और चारों सुपरहिट हुए.
अब एक बार फिर मैं लेकर आया हूं एक बेहतरीन कहानी “पिंकी की प्रेम कहानी”. पिंकी (बदला हुआ नाम) एक लड़की जो कभी हमारे दोस्तों के ग्रुप की बातचीत का हॉट टॉपिक हुआ करती थी. वह किससे प्यार करती है इस बात पर हम सभी में जमकर बहस होती थी. पिछले दिनों दिल्ली मेट्रो में उससे मुलाकात हुई. उसने मुझे अपनी कहानी सुनाई. यूं तो यह उसकी अपनी पर्सनल प्रेम कहानी थी लेकिन मैंने सोचा क्यूं ना इस कहानी को आप सभी से सांझा करें. यह कहानी पिंकी की ही जुबानी.
“ मनीष यही नाम था उस लड़के का. हम तीसरी क्लास से एक साथ पढ़ते थे. लोधी कालॉनी का वह स्कूल हमेशा से ही सबका प्यारा था. स्कूल के अंदर जाते ही दाएं हाथ में था हमारा क्लासरूम. यह क्लास रूम हमें बहुत प्यारा था. आखिर यह इस स्कूल में हमारा पहला क्लासरूम जो था. अब आते हैं मेरी प्रेम कहानी पर.
आधी छुट्टी खत्म हुई तो उसके मामा आएं एक छोटा सा बिस्कुट का पैकेट लेकर. संदीप ने वह ले लिया. इस तरह पहला दिन तो निकल गया लेकिन अगले दिन ही मैडम ने ऑडर दिया लड़के अलग बैठेंगे लड़कियां अलग मैं खुश हो गई अब मुझे अपनी सहेलियों के साथ जो बैठने को मिलेगा.
खैर धीरे-धीरे हम बड़े होते गए. मैं क्लास में हमेशा फर्स्ट आती थी और वह थर्ड. मैं कला में सबसे बेहतरीन थी और वह सोशल और संस्कृत में. पहले हम दोस्त थे लेकिन प्यार का अहसास शायद पांचवी में आते-आते ही जहन में आया.
मनीष सीधा-सादा लड़का था. अपने मामा के घर रहता था. पढ़ने में काफी तेज लेकिन कला के पेपर में बेहद कम नंबर आने की वजह से हमेशा थर्ड ही आ पाता था. लेकिन गणित और हिन्दी जैसे विषयों में उसके हमेशा मुझसे ज्यादा नंबर आते थे.
Spicy and Interesting Story Shared by You. Thank You For Sharing.
ReplyDeleteप्यार की कहानियाँ
Nice
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